Sunday, May 10, 2020

ज़िन्दगी, माँ की दी...

मैंने जब से इस दुनिया में जनम पाया है
हर कदम पे माँ, तुझको ही साथ पाया है


मेरी पहली पाठशाला, मेरी गुरु, मेरी माँ
जीवन एक संघर्ष है, आपने सिखाया है


ठोकर खाकर गिरना, फिर उठकर चलना
मूल मंत्र लक्ष्य प्राप्ति का, तूने बतलाया है


मुझे मंदिर की सीढ़ियां चढ़कर क्या करना
जब भी तुझे देखा, भगवान नज़र आया है


बुरी नज़र से बचाकर, हर बला हर लेती है
मेरा रक्षाकवच, उसके आँचल की छाया है


उसका कोई बाल भी बांका न कर पाए
जिसके सिर पर उसकी माँ का साया है

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